वैदिक गुरूकुलम् :-

क्रांतिकारी राष्ट्रसंत राधा - रासबिहारी बहुद्देशिय संस्था, जलगाँव के तत्वाधान में यज्ञपीठाधीश्वर धर्मसम्राट विद्यावाचस्पति श्री श्री १००८ श्री महामंडलेश्वर स्वामी श्री इंद्रदेवेश्वरानंद सरस्वतीजी महाराज द्वारा संचालित वैदिक गुरुकुलम् एक अंग्रेजी माध्यम का विद्यालय है जो कि महाराष्ट्र स्वयंअर्थसहाय्यित विद्यालय के अंतर्गत आता है।

वैदिक गुरुकुलम विद्यालय का उद्देश्य

किसी भी महाक्रांति के पीछे एक महान उद्देश्य का बीज बोया जाता है उसी प्रकार हमारे परम पूज्य गुरूजी का भी वैदिक गुरुकुलम की स्थापना के पीछे मुख्य उद्देश्य यही है कि शिक्षा के साथ - साथ बच्चो को योग-प्राणायाम, सु-संस्कार एवं आधुनिक शिक्षा प्राप्त हो उन्हें अपने माता - पिता, अपने देश और अपनी मातृभूमि की महानता का बोध हो, अपने कर्तव्यों का, संस्कति का बोध हो इसलिए विद्यार्थियों को हमारे विद्यालय में थ्योरी के साथ - साथ प्रेक्टिकल जीवन जीने की भी शिक्षा दि जाएगी। हम बालको को इस प्रकार से चरित्रवान, गुणवान और विद्यावान बनाना चाहते है कि वह जीते जागते श्रीसीताराम, श्रीराधाकृष्ण, गौतमबुद्ध, विवेकानंद, जीजाबाई, संत मीरा, रानी लक्ष्मीबाई, शिवाजी राजे, संत ज्ञानेश्वर, संत तुकाराम जैसे महान व्यक्तित्व को धारण कर अपने माता-पिता, अपने देश और अपनी मातृभूमि का ऋण चुका सकें और अपना जीवन श्रेष्ठ तथा उज्जवल बना सके।

गुरुजी द्वारा चलाएँ जा रहे जनकल्याण एवं राष्ट्र-कल्याण हेतु निम्न अनुष्ठान

प्रथम महाक्रान्ति : वैदिक सनातन धर्म का प्रचार - प्रसार एवं पंच महायज
द्वितीय महाक्रान्ति :योग-प्राणायाम एवं रोग मुक्त अभियान
तृतीय महाक्रान्ति :गौसेवा ( गौशाला ) एवं वृद्ध माता - पिताओ की सेवा ( वृद्धाश्रम )
चतुर्थ महाक्रान्ति :व्यसन मुक्त अभियान
पंचम महाक्रान्ति :बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान
षष्ठम महाक्रान्ति :जन-जागरूकता / तनाव मुक्त अभियान
सप्तम महाक्रान्ति :उपदेशक वैदिक गुरुकुल

इनके सबसे बाद अब परम पूज्य गुरुजी द्वारा आधुनिक शिक्षा के क्षेत्र में अपने कदम बढ़ाते हुए सप्तम महाक्रान्ति के अंतर्गत एक ऐसे वैदिक गुरुकुलम (अंगेजी माध्यम विद्यालय कक्षा १ ली से १२ वी तक ) की स्थापना होने जा रही है। जहाँ स्कूल के प्रथम दिवस से ही बच्चो को देवयाणी संस्कृत के साथ-साथ सु-संस्कार का पाठ पढ़ाया जायेगा, क्योकि किसी भी व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र को उन्नत एवं समृद्ध बनाने के लिए शिक्षा का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है।

हमारे शास्त्रों में कहा गया है की :-

विद्या ददाति विनयं विनयाद्याति पात्रताम ।
पात्रत्वाद्धनमात्नोति धनाद्धधर्म ततः सुखम् ॥ ( हितोपदेश श्लोक ६ )

अर्थात विद्याध्ययन से मनुष्य को विनम्रता तथा सद्व्यवहार प्राप्त करता है, जिसके माध्यम से उसे योग्यता प्राप्त होती है । योग्यता से धनोपार्जन का सामर्थ्य बढ़ता है । और जब धन मिलता है तब धर्म - कर्म कर पाना संभव होता है, जिससे अंततः उसे सुख तथा संतोष प्राप्त होता है ।



सुविधाएँ :- • यज्ञ - हवन • योगा प्राणायाम • कंप्यूटर लॅब • स्कूल बस • खेल मैदान • संगीत • सांस्कृतिक • चिकित्सालय • एम्बुलेन्स • ग्रंथालय